सत्य का समर्थन

सत्य का समर्थन

सत्य का समर्थन   यह सर्वविदित है कि धर्म एवं अध्यात्म से संबंधित सभी विद्वान् सत्य बोलने पर विशेष बल देते । यहाँ तक कि वेद विरुद्ध मत-पंथ भी वाणी की सत्यता को ही उचित मानते हैं। धार्मिक आयोजनों (सत्संगों) में प्रवचन करने वाले शास्त्रों का प्रमाण देकर कहते हैं ‘सत्यमेव जयते नानृतम्’ अर्थात् सत्य … Read more

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का पावन चरित्र आज लाखों वर्षों बाद भी जन-जन को प्रेरणा व मार्ग दर्शन कर रहा है, इसका सर्वातिशय कारण है उनका वैदिक-मर्यादामय समस्त जीवन । बचपन से लेकर जीवन पर्यन्त उनके जीवन के जब हम किसी भी भाग पर दृष्टिपात करते हैं तो उनके जीवन में कहीं भी … Read more

वैदिक वर्ण-व्यवस्था : स्वरूप एवं प्रासंगिकता

वैदिक वर्ण-व्यवस्था स्वरूप एवं प्रासंगिकता

वैदिक वर्ण-व्यवस्था : स्वरूप एवं प्रासंगिकता आज हम बात करने वाले हैं वैदिक वर्ण-व्यवस्था : स्वरूप एवं प्रासंगिकता के बारे में कहा हाता है कि वेद ईश्वरीय ज्ञान है। वेद ज्ञान में परम पिता परमात्मा ने सृष्टि के प्रारंभ में मनुष्य मात्र के लिए एक ऐसी अत्युत्कृष्ट आचार-संहिता का विधान किया है कि जिसका पालन … Read more

अपनों के प्रति अपनी बात

अपनों के प्रति अपनी बात

अपनों के प्रति अपनी बात अपनों के प्रति अपनी बात प्रिय पाठको! आप सबने यह अनुभव किया होगा कि यदि हम कभी अपने घर को सब ओर से अच्छी तरह बन्द करके 10-15 दिनों या महीने बाद खोलते हैं, तो उसमें भी कहीं-न-कहीं से धूल-मिट्टी आकर जम ही जाती है। यदि एक वर्ष बाद खोलें … Read more

विनम्र बनो

विनम्र बनो

विनम्र बनो आज हम बात करने वाले हैं विनम्रता के बारे में तभी तो वेदों में कहा गया है विनम्र बनो।  दोस्तों वेदों में एक छोटी सी सूक्ति जाती है पर्णालधीयसी भव। जिसका मतलब होता है – हे मानव तू पर्ण यानी पत्ते से भी हल्का बन, अर्थात् विनम्र बन। जो नम्र बनता है उसके … Read more

सौ साल जीने की कला

सौ साल जीने की कला

सौ साल जीने की कला आज हम बात करने वाले हैं सौ साल जीने की कला के विषय में, आज शायद ही हमारे भारत देश अथवा संपूर्ण देश विदेश में बहुत ही कम लोग रह गए हैं जो सौ साल जीने की कामना करते हैं अथवा इच्छा रखते हैं इसी भाव  को ध्यान में रखते … Read more