वैदिक वर्ण-व्यवस्था : स्वरूप एवं प्रासंगिकता

वैदिक वर्ण-व्यवस्था स्वरूप एवं प्रासंगिकता

वैदिक वर्ण-व्यवस्था : स्वरूप एवं प्रासंगिकता आज हम बात करने वाले हैं वैदिक वर्ण-व्यवस्था : स्वरूप एवं प्रासंगिकता के बारे में कहा हाता है कि वेद ईश्वरीय ज्ञान है। वेद ज्ञान में परम पिता परमात्मा ने सृष्टि के प्रारंभ में …

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अपनों के प्रति अपनी बात

अपनों के प्रति अपनी बात

अपनों के प्रति अपनी बात अपनों के प्रति अपनी बात प्रिय पाठको! आप सबने यह अनुभव किया होगा कि यदि हम कभी अपने घर को सब ओर से अच्छी तरह बन्द करके 10-15 दिनों या महीने बाद खोलते हैं, तो …

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विनम्र बनो

विनम्र बनो

विनम्र बनो आज हम बात करने वाले हैं विनम्रता के बारे में तभी तो वेदों में कहा गया है विनम्र बनो।  दोस्तों वेदों में एक छोटी सी सूक्ति जाती है पर्णालधीयसी भव। जिसका मतलब होता है – हे मानव तू …

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सौ साल जीने की कला

सौ साल जीने की कला

सौ साल जीने की कला आज हम बात करने वाले हैं सौ साल जीने की कला के विषय में, आज शायद ही हमारे भारत देश अथवा संपूर्ण देश विदेश में बहुत ही कम लोग रह गए हैं जो सौ साल …

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देवभाव

देवभाव आज हम बात करने वाले हैं देवभाव के बारे में, इस संसार में कई धर्म हैं। उन धर्मों के भिन्न भिन्न आधार और मान्यताएं हैं। हिन्दू धर्म का जब गम्भीरता से अध्ययन करें तो यह सिद्ध होता है कि …

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नास्तिक या आस्तिक

नास्तिक या आस्तिक

नास्तिक या आस्तिक आज हम बात करने वाले हैं नास्तिक या आस्तिक विषय पर कुछ प्रस्नोत्तरी के माध्यम से अथवा कुछ संवाद के सन्दर्भ में ….. प्रश्न १. नास्तिक का क्या लक्षण है ? अर्थात् नास्तिक किसे कहते हैं ? …

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