देवभाव

देवभाव आज हम बात करने वाले हैं देवभाव के बारे में, इस संसार में कई धर्म हैं। उन धर्मों के भिन्न भिन्न आधार और मान्यताएं हैं। हिन्दू धर्म का जब गम्भीरता से अध्ययन करें तो यह सिद्ध होता है कि …

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प्राण-प्रतिष्ठा

मूर्तियों में प्राण-प्रतिष्ठा

मूर्तियों में प्राण-प्रतिष्ठा आज हम बात करने वाले हैं मूर्तियों में प्राण-प्रतिष्ठा के सन्दर्भ में, प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ है- जड़ मूर्तियों में प्राण डालना अर्थात् उन्हें जीवित करना। क्या इससे मूर्तियाँ जीवित हो उठती हैं? यदि मनुष्य मूर्तियों में …

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नास्तिक या आस्तिक

नास्तिक या आस्तिक

नास्तिक या आस्तिक आज हम बात करने वाले हैं नास्तिक या आस्तिक विषय पर कुछ प्रस्नोत्तरी के माध्यम से अथवा कुछ संवाद के सन्दर्भ में ….. प्रश्न १. नास्तिक का क्या लक्षण है ? अर्थात् नास्तिक किसे कहते हैं ? …

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मूर्तिपूजा या ईशउपासना

मूर्तिपूजा या ईश्वरोपासना

मूर्तिपूजा या ईशउपासना इस मूर्तिपूजा का शीर्षक ‘मूर्तिपूजा या ईशउपासना’ पढ़ते ही हमारे अनेक पाठकवृन्द के मस्तिष्क में विभिन्न प्रकार के प्रश्न उत्पन्न हो गए होंगे। मूर्तिपूजा और ईश्वरोपासना इन दोनों शब्दों को अलग-अलग क्यों लिखा गया है? क्या दोनों …

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मूर्तिपूजा पठनीय क्यों ?

मूर्तिपूजा पठनीय क्यों ?

मूर्तिपूजा पठनीय क्यों ? ‘मूर्तिपूजा पठनीय क्यों ? परमात्मा की रचना में मनुष्य योनि ही सबसे बड़ी अनमोल रचना है। ईश्वर की कलाकारी को देखकर मनुष्य भी अपनी कलाकारी दिखाने का प्रयत्न करता है। ईश्वर ने जीता-जागता मानव बनाया तो …

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दया

दया

दया   दया धर्म का मूल है पाप मूल संताप जहां क्षमा तहां धर्म है जहां दया तहां आप भगवत् दया तो सभी धर्मों की नींव जड़ है। भगवान् अपने भक्त पर सहज रूप से ही कृपा करने वाले और …

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