प्राण-प्रतिष्ठा
मूर्तियों में प्राण-प्रतिष्ठा आज हम बात करने वाले हैं मूर्तियों में प्राण-प्रतिष्ठा के सन्दर्भ में, प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ है- जड़ मूर्तियों में प्राण डालना अर्थात् उन्हें जीवित करना। क्या इससे मूर्तियाँ जीवित हो उठती हैं? यदि मनुष्य मूर्तियों में प्राण डाल सकता है तो वह मुर्दों को भी जीवित कर सकता है। मनुष्यों को … Read more
नास्तिक या आस्तिक
नास्तिक या आस्तिक आज हम बात करने वाले हैं नास्तिक या आस्तिक विषय पर कुछ प्रस्नोत्तरी के माध्यम से अथवा कुछ संवाद के सन्दर्भ में ….. प्रश्न १. नास्तिक का क्या लक्षण है ? अर्थात् नास्तिक किसे कहते हैं ? उत्तर– जो ईश्वर की सत्ता से इन्कार करे वह मुख्य रूप से नास्तिक कहा जाता … Read more
मूर्तिपूजा या ईशउपासना
मूर्तिपूजा या ईशउपासना इस मूर्तिपूजा का शीर्षक ‘मूर्तिपूजा या ईशउपासना’ पढ़ते ही हमारे अनेक पाठकवृन्द के मस्तिष्क में विभिन्न प्रकार के प्रश्न उत्पन्न हो गए होंगे। मूर्तिपूजा और ईश्वरोपासना इन दोनों शब्दों को अलग-अलग क्यों लिखा गया है? क्या दोनों शब्दों के अर्थों तथा मान्यताओं में अन्तर है? इस ब्लॉग में इन्हीं विषयों की पौराणिक … Read more
मूर्तिपूजा पठनीय क्यों ?
मूर्तिपूजा पठनीय क्यों ? ‘मूर्तिपूजा पठनीय क्यों ? परमात्मा की रचना में मनुष्य योनि ही सबसे बड़ी अनमोल रचना है। ईश्वर की कलाकारी को देखकर मनुष्य भी अपनी कलाकारी दिखाने का प्रयत्न करता है। ईश्वर ने जीता-जागता मानव बनाया तो इन्सान ने पत्थर का सहारा लेकर भगवान् की मूर्ति का निर्माण कर दिया! है न … Read more