वैदिक वर्ण-व्यवस्था : स्वरूप एवं प्रासंगिकता

वैदिक वर्ण-व्यवस्था स्वरूप एवं प्रासंगिकता

वैदिक वर्ण-व्यवस्था : स्वरूप एवं प्रासंगिकता आज हम बात करने वाले हैं वैदिक वर्ण-व्यवस्था : स्वरूप एवं प्रासंगिकता के बारे में कहा हाता है कि वेद ईश्वरीय ज्ञान है। वेद ज्ञान में परम पिता परमात्मा ने सृष्टि के प्रारंभ में मनुष्य मात्र के लिए एक ऐसी अत्युत्कृष्ट आचार-संहिता का विधान किया है कि जिसका पालन … Read more

अपनों के प्रति अपनी बात

अपनों के प्रति अपनी बात

अपनों के प्रति अपनी बात अपनों के प्रति अपनी बात प्रिय पाठको! आप सबने यह अनुभव किया होगा कि यदि हम कभी अपने घर को सब ओर से अच्छी तरह बन्द करके 10-15 दिनों या महीने बाद खोलते हैं, तो उसमें भी कहीं-न-कहीं से धूल-मिट्टी आकर जम ही जाती है। यदि एक वर्ष बाद खोलें … Read more

विनम्र बनो

विनम्र बनो

विनम्र बनो आज हम बात करने वाले हैं विनम्रता के बारे में तभी तो वेदों में कहा गया है विनम्र बनो।  दोस्तों वेदों में एक छोटी सी सूक्ति जाती है पर्णालधीयसी भव। जिसका मतलब होता है – हे मानव तू पर्ण यानी पत्ते से भी हल्का बन, अर्थात् विनम्र बन। जो नम्र बनता है उसके … Read more

जितेन्द्रियता क्या है ? – What is Multisensory ?

जितेन्द्रियता क्या है ? - What is Multisensory ?

जितेन्द्रियता क्या है ?  इस विषय को महर्षि मनु जी मनुस्मृति में कहते हैं :- श्रुत्वा स्पृष्टवा च दृष्टवा, च भुक्त्वा घ्रात्वा च यो नरः । न दृष्यती ग्लायति वा स विज्ञेयो जितेन्द्रियः ।। अर्थात् सुनकर, देखकर, खाकर और सूंघकर जिस व्यक्ति को न प्रसन्नता होती है और न ग्लानि यानि न ही खुशी होती … Read more

ईमानदार बनना क्यों जरूरी है ? – Why Honesty is to Important ?

ईमानदार बनना क्यों जरूरी है -Why Honesty is to Important

आज हम बात करने वाले हैं कि :- ईमानदार बनना क्यों जरूरी है ? – Why Honesty is to Important ? कहा जाता है ईमानदारी मनुष्यरूपी भवन का आधारशिला है यानी नींव है । “जिस मनुष्य में ईमान नहीं, वह मानवता से गिर जाता है। संसार में जितने प्रकार के धन हैं, उनमें ईमान सबसे … Read more