प्रार्थना

प्रार्थना

प्रार्थना   जब हम ईश्वर से प्रार्थना करना छोड़ देते हैं और जब मानव निराशा के अन्धकार में डूबता है तो मन चिल्ला उठता है कि भगवन्, मेरे में अब इतनी भी शक्ति नहीं रही कि मैं इन सांसारिक झंझटों …

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व्यवहार में राग और द्वेष

व्यवहार में राग और द्वेष

व्यवहार में राग और द्वेष   कहा जाता है व्यवहार में राग और द्वेष का न होना ही हमारे लिए सबसे उत्तम है यह हमारे जीवन का सत्य है कि मनुष्य एक समाजिक प्राणी है। प्रत्येक मानव के शरीर की …

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सुख दुःख में अन्तर

सुख दुःख में अन्तर

सुख दुःख में अन्तर   ‘कोई तो तन मन दु:खी कोई चित्त उदास एक एक दुःख सभन को सुखी संत का दास’ आज समाज में मनुष्य के मन में सुख और शान्ति न होने का एक मात्र कारण यही है …

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ईश्वर हमारे भीतर ही है

ईश्वर हमारे भीतर ही है

ईश्वर हमारे भीतर ही है आज हम जानने वाले हैं की ईश्वर हमारे भीतर ही है जैसे कि हम किसी भी धर्म में विश्वास और आस्था रखते हैं किन्तु हमें इस तथ्य को भली भांति अपने को समझाना होगा कि …

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मानव समाज के चार वर्ग

मानव समाज के चार वर्ग

मानव समाज के चार वर्ग आज हम बात करने वाले हैं मानव समाज के चार वर्ग के बारे में क्योंकि आजकल यूक्रेन, रूस, सिरिया, इराक, अफगानिस्तान, इजिप्ट आदि देशों में अशान्ति का वातावरण उधर भारतवर्ष में चुनाव के समाचार सुन कर …

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सेवाभाव

सेवाभाव

सेवाभाव सेवा एक साज है जीवन के गीत का इन्सान से इन्सान की अनूठी प्रीत का हमारी भारतीय संस्कृति में दया, दान और सेवाभाव की प्रधानता, हमेशा से मनुष्य के मन में रही है। सेवा एक ऐसा माध्यम है जिससे …

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