उपकार

उपकार

उपकार तुलसी इस संसार में, पांच रतन हैं सार । साध संग सत्गुरु सरन, दया दीन उपकार || इस अन्तिम शब्द उपकार पर कुछ विचार करने का प्रयास करूँगा। दूसरों की भलाई और परोपकार करने वाला उसी प्रकार सुखी होता …

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नववर्ष अभिनन्दन

नववर्ष अभिनन्दन

नववर्ष अभिनन्दन नववर्ष अभिनन्दन दो हजार तेईस (२०२३) में अपने सभी दर्शकों और श्रोताओं का नतमस्तक हो अभिनन्दन करता हूँ। नववर्ष की आप सबको शुभकामनाएं हैं कि यह वर्ष आपके लिये सुख, समृद्धि और शान्ति लाने वाला हो। आपका जीवन …

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संयम

संयम

संयम आज हम जानने वाले हैं संयम के विषय में अथवा संयमता के विषय में, आज के इस भौतिकवादी युग में मानव क्यों दुःखी है जिसका मुख्य कारण इस बढ़ती हुई प्रगति के साथ ऐसे आकर्षण हैं कि जो मनुष्य …

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सरलता

सरलता

सरलता सरलता आत्मा की स्वभाविक प्रवृत्ति है। ‘सत्य’ और ‘सरलता’ का घनिष्ठ सम्बन्ध है उसी प्रकार कपट और झूठ का। ‘सत्य’ का अर्थ है कि जिस रूप में है उसी ढंग में उसे जानना और ‘सरलता’ का अर्थ भी वही …

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आत्मचिंतन करने का मुख्य समय

आत्मचिंतन

आत्मचिंतन आज हम बात करने वाले हैं कि आखिर आत्मचिंतन क्यों जरूरी है हमारे लिए :- मुझमें समा जा इस तरह इस प्राण का जो तौर है। जिसमें न फिर कोई कह सके मैं और हूं तू और है। हम …

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गायत्री मंत्र

गायत्री मंत्र

गायत्री मंत्र ओ३म् ओ३म् परमात्मा का सर्वश्रेष्ठ नाम है। जिस ने सारे संसार की रचना की है। वह अजर है, अमर है, सर्वव्यापक है, रक्षक है । इसमें परमात्मा के अनेक रूपों और गुणों को प्रकट करने की शक्ति है …

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