वेदों में संपूर्ण विज्ञान
वेदों में सभी प्रकार के विज्ञान के कुछ उदाहरण अथवा वेदों में संपूर्ण विज्ञान वेदों में पृथिवी के घूमने का वर्णन निम्न वेद मंत्र में
पृथिवी द्वारा सूर्य के चारों ओर घूमने का वर्णन है-
आयं गौः पृश्निरक्रमीदसदन्मातरं पुरः। पितरां च प्रयन्त्स्वः ॥ यजुर्वेद ६/६
गौ नाम है पृथिवी, सूर्य, चन्द्रमा आदि लोकों का । वे सब अपनी अपनी परिधि में अन्तरिक्ष में घूमते हैं। जल पृथिवी की माता के समान है क्योंकि पृथिवी जल के परमाणुओं के साथ अपने परमाणुओं के संयोग से उत्पन्न हुई है। सूर्य-पृथिवी के पिता के समान है, इससे सूर्य के चारों ओर घूमती है।
वेद ईश्वरीय ज्ञान क्यों है ? (PROVED WITH 7 BIG REASONS)
वेदों में आकर्षण शक्ति का वर्णन
यदा ते हर्य्यता हरी वा वृधा ते दिवे-दिवे आदित्ते विश्वा भुवनानि येमिरे ॥ ऋग्वेद ६/१/६/३
सब लोकों के साथ सूर्य और सूर्य आदि लोकों के साथ परमेश्वर का आकर्षण है। हे इन्द्र परमेश्वर ! आपके अनन्त बल और पराक्रम आदि गुणों से सब संसार का धारण, आकर्षण और पालन होता है। आपके ही सब गुण सूर्यादि लोकों को धारण करते हैं। अतः सब लोक अपनी-अपनी कक्षा और स्थान से इधर-उधर चलायमान नहीं होते।
वेदों में जीव-विज्ञान
जीव विज्ञान के सम्बन्ध में प्रामाणिक सुविख्यात विद्वान् डॉ. बी. जी. रेले L.M.F.S.F.C.P.S. अपनी पुस्तक ‘The Vedic Gods— as figures of Biology’ में लिखते हैं-
Our present anatomical knowledge of the nervous system tallies so accurately with the literal description of the world given in the Rigveda that a question arises in the mind whether the Vedas are really religious books or whether they are books on anatomy and physiol- ogy of the nervous system, without the thorough knowl- edge of which psychological deductions and philosophi- cal speculations cannot be correctly made, P-30.
वेदों में क्या है ?
भावार्थ- नाड़ी संस्थान की रचना-सम्बन्धी हमारा वर्तमान ज्ञान, ऋग्वेद के जगत् विषयक वर्णनों से इतनी अच्छी तरह मेल खाता है कि मन में कई बार यह प्रश्न उठने लगता है कि क्या वेद वास्तव में धर्म ग्रन्थ हैं या वे शरीर विज्ञान और नाड़ी संस्थान की रचना संबंधी ग्रंथ हैं, जिनके पूर्ण ज्ञान के बिना मनोवैज्ञानिक तथा दार्शनिक विचार ठीक प्रकार समझ में नहीं आ सकते ।