मूर्तिपूजा या ईशउपासना

मूर्तिपूजा या ईश्वरोपासना

मूर्तिपूजा या ईशउपासना इस मूर्तिपूजा का शीर्षक ‘मूर्तिपूजा या ईशउपासना’ पढ़ते ही हमारे अनेक पाठकवृन्द के मस्तिष्क में विभिन्न प्रकार के प्रश्न उत्पन्न हो गए होंगे। मूर्तिपूजा और ईश्वरोपासना इन दोनों शब्दों को अलग-अलग क्यों लिखा गया है? क्या दोनों …

Read More

मूर्तिपूजा पठनीय क्यों ?

मूर्तिपूजा पठनीय क्यों ?

मूर्तिपूजा पठनीय क्यों ? ‘मूर्तिपूजा पठनीय क्यों ? परमात्मा की रचना में मनुष्य योनि ही सबसे बड़ी अनमोल रचना है। ईश्वर की कलाकारी को देखकर मनुष्य भी अपनी कलाकारी दिखाने का प्रयत्न करता है। ईश्वर ने जीता-जागता मानव बनाया तो …

Read More

दिनचर्या पर केन्द्रित मन

दिनचर्या पर केन्द्रित मन

दिनचर्या पर केन्द्रित मन   दिनचर्या पर केन्द्रित मन का होना बहुत ही जरूरी है, यानि अत्यंत आवश्यक है तभी तो संत कबीर दास जी का कथन है :- ये हीरा जन्म अमोल है कोड़ी बदले जाय अपने जीवन को …

Read More

सत्संग से आन्तरिक सुख

सत्संग से आन्तरिक सुख

सत्संग से आन्तरिक सुख   आज हम जानने वाले हैं क्या वाकय में सत्संग से आन्तरिक सुख की प्राप्ति हो सकती है या नहीं ? दिल का हुजरा साफ कर जानां के आने के लिये। ध्यान गैरों से उठा ईश्वर …

Read More

वैदिक धर्म

वैदिक धर्म

वैदिक धर्म   वैदिक धर्म संसार के सब मतों और सम्प्रदायों से अधिक प्राचीन है । यह सृष्टि के प्रारंभ से अर्थात् १,९६,०८, ५३, ११७ वर्ष से है। संसारभर के दूसरे मत, पंथ या संप्रदाय किसी ने किसी पैगम्बर, मसीहा, …

Read More

मानव समाज के चार वर्ग

मानव समाज के चार वर्ग

मानव समाज के चार वर्ग आज हम बात करने वाले हैं मानव समाज के चार वर्ग के बारे में क्योंकि आजकल यूक्रेन, रूस, सिरिया, इराक, अफगानिस्तान, इजिप्ट आदि देशों में अशान्ति का वातावरण उधर भारतवर्ष में चुनाव के समाचार सुन कर …

Read More