दिनचर्या पर केन्द्रित मन

दिनचर्या पर केन्द्रित मन

दिनचर्या पर केन्द्रित मन   दिनचर्या पर केन्द्रित मन का होना बहुत ही जरूरी है, यानि अत्यंत आवश्यक है तभी तो संत कबीर दास जी का कथन है :- ये हीरा जन्म अमोल है कोड़ी बदले जाय अपने जीवन को हीरे के तुल्य बनाने के लिये मनुष्य को ‘मनसा वाचा कर्मणा’ अर्थात मन से, वाणी … Read more

आओ वसन्त मनाएं

आओ वसन्त मनाएं

आओ वसन्त मनाएं   इतनी घोर शरद् ऋतु यानी सर्दी और बर्फ के पश्चात् वसन्त ऋतु का रहा जिसकी हम सब प्रतीक्षा उत्सुकता कर रहे हैं। इन उत्सवों व पर्वों से ही हमारी संस्कृति की रक्षा होती है। हमारा भारत इन पर्वों और त्यौहारों का देश है। यह सब बदलती हुई ऋतुएं और त्यौहार हमें … Read more

विज्ञान और धर्म

विज्ञान और धर्म

विज्ञान और धर्म आज हम बात करने वाले हैं विज्ञान और धर्म के के सम्बन्ध के बारे में कहा जाता है की :- आसमां में हवाई जहाज को उड़ता देख दिल फूला नहीं समाता । विज्ञान के यह करिश्मे देख, मन है खूब हर्षाता ।। चन्द्रमा तक पहुंचे हैं कदम, पड़ोसी तक न जा पाये। … Read more

सत्संग से आन्तरिक सुख

सत्संग से आन्तरिक सुख

सत्संग से आन्तरिक सुख   आज हम जानने वाले हैं क्या वाकय में सत्संग से आन्तरिक सुख की प्राप्ति हो सकती है या नहीं ? दिल का हुजरा साफ कर जानां के आने के लिये। ध्यान गैरों से उठा ईश्वर को बिठाने के लिये ।। इस संसार में रहते हुए हमारी इच्छाएं और तृष्णा तो … Read more

शरीर और आत्मा

शरीर और आत्मा

शरीर और आत्मा आज हम बात करने वाले हैं शरीर और आत्मा के बारे में, इस संसार में मुफ्त उड़ान भरता हुआ एक पंछी भी उड़ने में असमर्थ हो जाता है जब उसके पंख धूल मिट्टी से लिपट जाते हैं उसी प्रकार इस शरीर के रहते हुए मानव मन में यह अज्ञानता है कि यदि … Read more

अपमान

अपमान

अपमान   आज हम बात करने वाले हैं कि अपमान होने पर मानसिक शान्ति कैसे बनायें ? संत कबीर ने प्राणीजात को सन्दश दिया है :-  मान दिया मन हरषिया, अपमाने तन छीन । कहै कबीर तब जानिये, माया में लवलीन || इस सांसारिक जीवन में हम देखते हैं कि जब किसी मनुष्य को मान … Read more