वेदों में विज्ञान

वेदों-में-संपूर्ण-विज्ञान

वेदों में संपूर्ण विज्ञान वेदों में सभी प्रकार के विज्ञान के कुछ उदाहरण अथवा वेदों में संपूर्ण विज्ञान वेदों में पृथिवी के घूमने का वर्णन निम्न वेद मंत्र में पृथिवी द्वारा सूर्य के चारों ओर घूमने का वर्णन है- आयं गौः पृश्निरक्रमीदसदन्मातरं पुरः। पितरां च प्रयन्त्स्वः ॥   यजुर्वेद ६/६ गौ नाम है पृथिवी, सूर्य, … Read more

वेद ईश्वरीय ज्ञान क्यों है ? (PROVED WITH 7 BIG REASONS)

वेदों में प्रमाण की वेद ईश्वरीय ज्ञान क्यों है

वेदों में प्रमाण की वेद ईश्वरीय ज्ञान क्यों है ? अथवा वेदों के ईश्वरीय ज्ञान होने के वेद में प्रमाण :- अनेक वेद मंत्रों में वेद के ईश्वरीय ज्ञान होने का स्पष्ट उल्लेख है। उदाहरण के लिए कुछ मंत्र नीचे दिए गए हैं-  (i) अहं ब्रह्म कृणवम्- ऋ. १०/५६/१ अर्थात् मैंने ही ब्रह्मज्ञान दिया है। … Read more

वेदों में क्या है ?

वेदों में क्या है ?

आज हम देखने वाले हैं की वेदों में क्या है ? वेदों में क्या है ? इस विषय पर कहा जाता है कि वेद ‘ सृष्टि के सम्पूर्ण ज्ञानकोष की कुंजी हैं। सृष्टि के आदिकाल से लेकर महाभारत काल तक, वेद-मंत्रों का गान घर-घर में गूंजता रहा। तब तक सम्पूर्ण विश्व एक ईश्वर, एक धर्म, … Read more

ब्रह्मचर्य क्या है ?

ब्रह्मचर्य की शक्ति

ब्रह्मचर्य क्या है ? ब्रह्मचर्य दो शब्दों से मिलकर बना है ब्रह्म और चर्य |  ब्रह्म का अर्थ है ईश्वर, वेद, ज्ञान और वीर्य आदि तथा ‘चर्य’ शब्द चर् धातु से बना है जिसका अर्थ है अध्ययन करना, चिन्तन करना यानी सोचना, विचार करना, अध्ययन करना यानी पढना तथा रक्षण करना अथवा रक्षा करना । … Read more

जितेन्द्रियता क्या है ? – What is Multisensory ?

जितेन्द्रियता क्या है ? - What is Multisensory ?

जितेन्द्रियता क्या है ?  इस विषय को महर्षि मनु जी मनुस्मृति में कहते हैं :- श्रुत्वा स्पृष्टवा च दृष्टवा, च भुक्त्वा घ्रात्वा च यो नरः । न दृष्यती ग्लायति वा स विज्ञेयो जितेन्द्रियः ।। अर्थात् सुनकर, देखकर, खाकर और सूंघकर जिस व्यक्ति को न प्रसन्नता होती है और न ग्लानि यानि न ही खुशी होती … Read more

सुख और आनन्द में अंतर – A True Happiness

सुख और आनन्द में अंतर – A True Happiness

सुख और आनन्द में अंतर आज हम बात करने वाले हैं सुख और आनंद में अंतर की – सुख वेदादि शास्त्रों में सुख का अर्थ होता है सांसारिक पदार्थों से यानी संसार में जितनी भी चीजें हैं उन चीजों से हमारी इन्द्रियों को हमारे Sense Organs को मिलने वाली अनुकूल अनुभूति का होना ही सुख … Read more