आज हम बात करने वाले हैं कि :-
ईमानदार बनना क्यों जरूरी है ? – Why Honesty is to Important ?
कहा जाता है ईमानदारी मनुष्यरूपी भवन का आधारशिला है यानी नींव है । “जिस मनुष्य में ईमान नहीं, वह मानवता से गिर जाता है। संसार में जितने प्रकार के धन हैं, उनमें ईमान सबसे बढ़कर है, वेद आदि शास्त्रों में इस संसार की उपमा सागर से दी गई है। इस सागर में प्रलोभनरूपी भयङ्कर मगरमच्छ हैं। अतः ईमानदारी रूपी नौका ही प्रलोभन-रूपी मगरमच्छों से रक्षा करती हुई हमें पार ले जा सकती है।
जिस प्रकार मकान के लिए छत की, अन्धे और लगड़े के लिए लाठी की कुएँ के लिए जल की, दीपक के लिए तेल की, उपदेशक के लिए श्रोताओं की और लेखक के लिए लेखनी की आवश्यकता होती है, इसी प्रकार मनुष्य के लिए ईमान की आवश्यकता है।
कहा जाता है “An honest man is God’s best Creation” अर्थात् ईमानदार मनुष्य ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट रचना है।
Sir Wliliam Shakespear कहते हैं- “No Legary is so rich as honesty”
अतः अपने व्यवहार में ईमानदार बनो।लालच और प्रलोभनों में मत फँसो अगर कहीं कोई चीज़ यानी वस्तु पड़ी मिल जाए तो उसे अपने पास मत रखो। वह चीज जिसकी भी हो उसे उसके मालिक के पास पहुँचाने का प्रयत्न करो।
दान की महिमा – The Glory of Donation
यदि आप दुकानदार बनें तो पूरा तोलें, जिस वस्तु का जितना सौदा करें उतना ही दें। उसमें बेईमानी बिल्कुल भी न करें। ऐसा न हो कि नमूना कुछ और दिखाएं और चीज कुछ और ही दें।
बैरिस्टर चित्तरंजन दास जी भी बहुत ईमानदार थे। इनके पिताजी भी ऋणग्रस्त होकर दिवालिया हो गए । कानून के अनुसार इस ऋण का श्री चित्तरंजन दास जी पर कोई दायित्व नहीं था परन्तु फिर भी वृद्ध पिता के इस ऋण को उन्होंने अपने ऊपर ले लिया और कठिन परिश्रम करते हुए उन्होंने अपने पिता के सारे ऋण चुका दिए।
यदि आप डॉक्टर बनें तो रोगियों को लूटने का प्रयत्न न करें उचित दवा और परामर्श दीजिए । यदि रोगी मर रहा है तो फीस मत लीजिए । यदि आप अध्यापक बनने का विचार रखते हैं तो देश के निर्माण में सहयोग दीजिए। विद्यार्थियों को श्रेष्ठ, सभ्य, बलवान और चरित्रवान् बनाइए । अपने विद्यार्थियों को इस प्रकार पढ़ाइए कि उन्हें ट्यूशन रखने की जरूरत ही ना पड़े। तभी आप अपने काम के प्रति ईमानदार हैं।
ईमानदारी के साथ परिश्रमपूर्वक कमाए हुए धन में जो आनंद आता है, बेईमानी, धोखा, छल और कपट से कमाए हुए धन में वह आनंद चाहकर भी नहीं आ सकता |
दान देने के फायदे - दान देने की महिमा - The Glory of Donation
इसमें कोई सन्देह नहीं कि बेईमानी से कमाए हुए धन को देखकर मनुष्य नाच उठता है पर अन्त में उसे पश्चाताप ही करना पड़ता है बेईमान व्यक्ति बाहर से कितना ही खुश क्यों न हो पर वह अन्दर से उतना ही डरा हुआ रहता है । समाज में उसका आदर और सम्मान समाप्त हो जाता है तथा लोग उसे घृणा की दृष्टि से देखने लगते हैं। किसी विद्वान ने क्या सुन्दर कहा है:-
“Just as heath is to the body,the same is honesty to the soul”
जिस प्रकार शरीर के लिए स्वास्थ्य की जरूरत है उसी प्रकार आत्मा के लिए ईमादारी की| अतः ईमानदार बनो क्योंकि ईमानदार नौकर ही खाजाने की चाबी को प्राप्त करता है जबकि बेईमान पुत्र को उसे छूने की भी आज्ञा नहीं होती | एक बहुत ही बड़े अंग्रेजी के विद्वान हुए हैं जिन्होंने कहा है :-
Honesty is important because it helps to build trust and foster healthy relationships. When people are honest with each other, they feel more connected and able to rely on one another. Honesty also promotes fairness, as it allows people to be treated with respect and dignity. In addition, honesty is essential for personal growth and self-improvement, as it allows people to acknowledge their mistakes and learn from them. Without honesty, it can be difficult to build and maintain healthy relationships, and it can also lead to conflicts and misunderstandings.
जितेन्द्रियता क्या है ? "What is Multisensory?"ईमानदार बनना क्यों जरूरी है ?
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