सुख और आनन्द में अंतर – A True Happiness

सुख और आनन्द में अंतर – A True Happiness

सुख और आनन्द में अंतर

आज हम बात करने वाले हैं सुख और आनंद में अंतर की –

सुख

वेदादि शास्त्रों में सुख का अर्थ होता है सांसारिक पदार्थों से यानी संसार में जितनी भी चीजें हैं उन चीजों से हमारी इन्द्रियों को हमारे Sense Organs को मिलने वाली अनुकूल अनुभूति का होना ही सुख कहलाता है।

आनन्द

यह इन्दियों की अनुभूति से बहुत ही परे है उनसे दूर है इसको इन्द्रियों जैसे आँख, कान, मन, बुद्धि आदि से अनुभव नहीं किया जा सकता। सांसारिक पदार्थों यानी सांसारिक चीजों से इसका कोई सम्बन्ध नहीं होता। सांसारिक पदार्थों से सुख मिल सकता है आनन्द नहीं ।

                       सुख और आनन्द में अंतर

इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है जब हम स्वयं स्वादिष्ट यानी tasty खाना खाते हैं तब हमें सुख मिलता है लेकिन अगर उसी भोजन को जब हम किसी भूखे व्यक्ति को खिलाते हैं तो उसमें हमें आनन्द मिलता है।

आनन्द हमारी आत्मशक्ति को बढ़ाने में बहुत अधिक महत्वपूर्ण है, आनन्द की अनुभूति हमें इश्वर की प्रेरणा से प्राप्त होती है,

हम जब भी कोई भी अच्छा कार्य करते हैं तब ईश्वर हमें आनन्द की अनुभूति करवाता है, आनन्द की अनुभूति हमें दिखाई नहीं देती यह आतंरिक मन में समाहित रहती है, जिस व्यक्ति को एक बार आनन्द की अनुभूति हो जाती है फिर वह सुख की अनुभूति के पीछे नहीं भागता|

परमानन्द

आनन्द से भी परे शब्द है परमानन्द, जो व्यक्ति ईश्वर को प्राप्त कर लेता है यानी ईश्वर की शरण में पहुँच जाता है सिर्फ वाही व्यक्ति परमानन्द को प्राप्त कर सकता है|

ईमानदार बनना क्यों जरूरी है ? – Why Honesty is to Important ?

आनन्द परम शान्ति एवं परम संतुष्टि यानी satisfaction का नाम है जब मन में कोई इच्छा या कामना नहीं रह जाती ।

परमात्मा के समक्ष बैठने से सांसारिक इच्छाएँ, वासनाएँ सब समाप्त हो जाती हैं। यहाँ तक कि मोक्ष पाने की भी इच्छा नहीं रह जाती। इसी अवस्था का नाम आनन्द है। इसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता।

दान की महिमा – The Glory of Donation

“Happiness” शब्द पर अंग्रेजी  विद्वानों का मानना है की :-

Happiness is a feeling of contentment or joy that can come from various sources, such as relationships, achievements, or personal experiences. It is a subjective experience that can be difficult to define, as what makes one person happy may not have the same effect on another person.

सुख और आनन्द में अंतर

It is often used to describe feelings of contentment, satisfaction, and well-being. This word can be used to describe a range of positive emotions, from mild contentment to intense joy and happiness. It is a common word in Hindi and is used to describe a variety of positive experiences.

सुख और आनन्द में अंतर

Some people find happiness in spending time with loved ones, while others find it in pursuing their passions or hobbies. Ultimately, happiness is a state of mind that can be influenced by both internal and external factors.

खुशी संतुष्टि या आनंद की भावना है जो विभिन्न स्रोतों से आ सकती है, जैसे रिश्ते, उपलब्धियां या व्यक्तिगत अनुभव अथवा कई अन्य कारण भी हो सकते हैं ।
यह एक व्यक्तिपरक अनुभव है जिसे परिभाषित करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि जो चीज एक व्यक्ति को खुश करती है उसका दूसरे व्यक्ति पर समान प्रभाव नहीं हो सकता है।
दान की महिमा – The Glory of Donation
कुछ लोगों को अपने प्रियजनों के साथ समय बिताने में खुशी मिलती है, जबकि अन्य इसे अपने जुनून या शौक को पूरा करने में पाते हैं। अंतत: खुशी मन की एक अवस्था है जो आंतरिक और बाहरी दोनों कारकों से प्रभावित हो सकती है।
सुख और आनन्द में अंतर in a video Format
satyagyan:

View Comments (0)