आज हम देखने वाले हैं की वेदों में क्या है ?
वेदों में क्या है ? इस विषय पर कहा जाता है कि वेद ‘ सृष्टि के सम्पूर्ण ज्ञानकोष की कुंजी हैं। सृष्टि के आदिकाल से लेकर महाभारत काल तक, वेद-मंत्रों का गान घर-घर में गूंजता रहा। तब तक सम्पूर्ण विश्व एक ईश्वर, एक धर्म, एक धर्मग्रन्थ, एक अभिवादन, एक गुरु मंत्र, एक भाषा, एक भाव और एक श्रेष्ठता सूचक ‘आर्य’ (श्रेष्ठ) नाम को धारण कर सुख-शांति लाभ करता रहा। उसी काल की झलक हमें महर्षि मनु के निम्न श्लोक में मिलती है-
एतद्देशप्रसूतस्य सकाशादग्र जन्मनः । स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्यां सर्वमानवाः ॥
इस देश के द्विज अग्रजन्मा विप्रवर विद्वान् विज्ञान दर्शन शास्त्र में वे अद्वितीय महान् थे संसार के गुरु थे, इन्हीं के पास सब आते रहे । चारित्र्य शिक्षा विश्व के मानव यहीं पाते रहे ॥ उस वैदिक स्वर्णकाल के विषय में ही कैकेय देश के राजा अश्वपति ने घोषणा की थी-
न मे स्तेनो जनपदे न कदर्यो न च मद्यपः । नानाहिताग्निविद्वान् न स्वैरी स्वैरिणी कुतः ॥
अर्थात मेरे देश में कोई चोर नहीं है कोई गरीब और कंजूस नहीं है। कोई शराबी नहीं है। कोई ऐसा घर नहीं है जहां जलवायु की शुद्धि के लिए हवन न होता हो। कोई मूर्ख नहीं है। कोई व्यभिचारी नहीं है तो फिर व्यभिचारिणी कैसे हो सकती है?
वेदों का ज्ञान-ईश्वरीय (अपौरुषेय) और प्राचीनतम
वेदों का ज्ञान ईश्वरीय ज्ञान है और वेद संसार की सबसे पुरानी पुस्तक हैं- ऐसी मान्यता भारतीय मनीषियों की ही नहीं अपितु विश्व-विख्यात यूरोपीय विद्वानों की भी है। इस संदर्भ में प्रसिद्ध विद्वान् प्रो. मैक्समूलर का कहना है-“वेदों को हम इसलिए आदि सृष्टि के कह सकते हैं कि उनसे पूर्व का कोई अन्य लिखित चिन्ह नहीं मिलता।
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परन्तु वेद के भीतर भाषा, धर्म और अध्यात्मा-विद्या आदि का जो ज्ञान हमें मिलता है, वह हमारे सामने इतनी प्राचीनता का दृश्य दिखलाता है। कि कोई भी मनुष्य उस प्राचीनता को वर्षों की संख्या में नहीं नाप सकता”।”
Chips from a German workshop Vol. I में प्रो. मैक्समूलर पुनः लिखते हैं- “वेद अपौरुषेय और नित्य हैं।”
अपनी एक अन्य पुस्तक “Reason and Religion “ में, प्रो. मैक्समूलर कहते हैं- “हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि वेद आर्यों की ही नहीं बल्कि समस्त विश्व की सबसे पुरानी पुस्तक है। यदि ईश्वर है, जिसने पृथ्वी और स्वर्ग बनाए हैं, तो यह उसका अन्याय होगा कि वह भोजन से पहले उत्पन्न हुए लोगों को ईश्वरीय ज्ञान से वंचित कर दे । बुद्धि एवं तुलनात्मक धर्म-अध्ययन से स्पष्ट होता है कि ईश्वर अपना ज्ञान, मानव-सृष्टि के आदि में मनुष्यों को देता है।”
एन.बी. पावगी लिखते हैं-“वेद मूल ज्ञान के स्रोत ही नहीं बल्कि ईश्वरीय ज्ञान और शाश्वत सत्यों के भण्डार हैं”
प्रसिद्ध पाश्चात्य विद्वान् जैकोलियट अपने ग्रन्थ ‘Bible in India’ में लिखते हैं कि बड़े आश्चर्य की बात है कि ईश्वरीय ज्ञान समझे जाने वाले ग्रन्थों में केवल वेद ही हैं जिनके सिद्धान्त विज्ञान के सर्वथा अनुकूल हैं-“Astonishing fact that the Hindu revelation (Vedas) is of all revelations the only one whose ideas are in perfect harmony with science.”
श्रीमती मैडम ब्लावेटस्की का दृढ़ मत है कि ‘वास्तव में वेद ईश्वरीय ज्ञान हैं । “
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यूरोप के प्रसिद्ध विचारक डा. जेम्स कज्जिन, डी. लिंटू, Path to Peace (पाथ टू पीस) में लिखते हैं : ‘On the Vedic ideal alone……it is possible to rear a new earth in the image likeness of the eternal heavens.’ अर्थात्-वैदिक आदर्शों पर चलने से ही संसार फिर स्वर्ग व सुखधाम बन सकता है।
नोबल प्राइज़ विजेता सुप्रसिद्ध दार्शनिक मैटरलिंक The Great 1 Secret (द ग्रेट सीक्रेट) में लिखते हैं- “Unrivalled wisdom which lies hidden behind those writings (Vedas)” – “वेद ही एकमात्र ज्ञान के भण्डार हैं जिनकी तुलना हो ही नहीं सकती, वेदों में गुप्त रूप से अर्थात् सूत्र रूप से समस्त विद्याओं का उपदेश निहित है।”
अमेरिकन मनीषी थौरी ने कहा “….. The Vedas contain a sensible account of God” अर्थात् “वेदों में परमात्मा का पवित्रतम प्रकाश प्रसारित है।”
मौरिस फिलिप अपनी पुस्तक Teachings of the Vedas में लिखते हैं- “After the latest researches into the history and chronology of books of old testament, we may safely now call the Rigveda as the oldest book not only of the Aryan humanity but of the whole world” अर्थात् “वेद, भारत की ही नहीं, अपितु समस्त संसार की सबसे प्राचीन सनातन धर्म पुस्तक है।”
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अमेरिकन महिला व्हीलर विलकाक्स का कहना है-“…..The great Vedas the most remarkable works containing not only religious ideas for a perfect life, but also facts which all the science has since proved true.”अर्थात् “वेदों में केवल जीवन सम्बन्धी धार्मिक विचार ही नहीं, प्रत्युत वे वास्तविकताएं हैं जिन्हें समस्त विज्ञानों द्वारा सत्य होने का प्रमाण मिला है।”
कील विश्वविद्यालय के विद्वान् प्रोफेसर कील ने तो The Prehis- toric Antiquity of Aryans में यहां तक लिख दिया कि वेद समग्र ज्ञान का आदि और अंत हैं।” डब्ल्यू डी. ब्राउन ने कहा- “It is thoroughly scientific reli- gion where religion and science meet hand in hand.” अर्थात् “वैदिक धर्म सम्पूर्णतया वैज्ञानिक धर्म है जिसमें धर्म और विज्ञान हाथ मिलाकर चलते हैं।
सुप्रसिद्ध पाश्चात्य संत एडवर्ड कारपेण्टर अपनी पुस्तक “Art of Creation” में लिखते हैं- A new philosophy we can hardly expect or wish for, since the same germinal thoughts of the Vedic author have come all the way down history, even to Schopenhaur and Whitman, inspiring, philosophy after philosophy, religion after religion”
विनम्र बनो अगर कुछ बनना ही है तो
अर्थात् “आज तक एक भी नया विचार संसार में ऐसा नहीं आया जो वेदों में पहले से ही उपलब्ध न हो, चाहे शोपनहार का दर्शन शास्त्र पढ़ जाओ और चाहे हिटमैन के धर्मोपदेश- वेदों के ही विचार सर्वत्र मिलते हैं।”
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