पुस्तक
आज हम बात करने वाले हैं पुस्तक के बारे में कहा जाता है कि :-
जीवन का आधार है यह किताबें।
जीवन का शिलान्यास है यह किताबें ।।
यह सांसारिक जीवन भी एक बड़ी पुस्तक यानी किताबों के समान ही तो है। इसमें प्रत्येक दिन एक एक पृष्ट (पन्ने) की तरह है और प्रत्येक क्षण पुस्तक के वाक्य में पंक्ति से हमें नये नये रहस्यों का ज्ञान मिलता है। इसलिये किसी साहित्यकार ने कहा कि जिसने पुस्तकों को मित्र बना लिया है वह कभी भी अकेलापन अनुभव नहीं करता।
अपने जीवन में हम ज्ञान दो प्रकार से प्राप्त करते हैं। मनुष्य होने के नाते हम गल्तियां करते हैं, बहुत बार भ्रम में भूल चूक भी होती है। और उनसे सीखते हैं और मन ही मन दिलासा देते हैं कि इन्सान गल्तियों का पुतला है। दूसरी ओर यह ज्ञान हम स्वाध्याय से भी प्राप्त कर सकते हैं जिसे हम पुस्तक कहते हैं।
वह कागज के ऊपर अक्षरों से किसी भी भाषा में कोई निष्प्राण वस्तु नहीं वह तो लेखक की। भावनाएं, समाज के वास्तविक रूप का प्रतिबिम्ब होती है। इन पुस्तकों समाचार पत्रों के माध्यम से ही अपने आस पास के वातावरण को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव कर सकते हैं।
सुख दुःख में अन्तर
हमारी मातृभूमि भारत का महत्त्व उसके धार्मिक ग्रन्थों में है, वेद उपनिषद्, गुरुवाणी, रामायण, महाभारत इन सब से नियमों का स्वाध्याय करके हम दैनिक जीवन को श्रेष्ठ बना सकते हैं। इन सब ग्रन्थों से ही हमें अच्छे मानव बनने की शिक्षा मिलती है। इन के माध्यम से हम महान् विचारकों, कवियों, लेखकों, नेताओं वैज्ञानिकों के विचारों से अवगत हो सकते हैं।
हम जिस किसी स्थान में भी हों रात-दिन इन्हें अपने साथ रख सकते हैं। पुस्तकों के पृष्ठों में एक सदा रहने वाला जीवित संसार है। इन में दुनियां की सभी समस्याओं को सुलझाने की विधियां भी हैं। जिस घर में पुस्तकों का निवास है उस घर में विद्वानों विचारकों का निवास है किसी विख्यात व्यक्ति ने कहा है :-
गागर में सागर परम पूज्य है।
पूजनीय पवमान है यह ग्रन्थ
अच्छी पुस्तकों के पढ़ने से मनुष्य में एक प्रवृत्ति जागती है, वह है अन्तर्मुखी होने की, उसको आत्मबोध होने लगता है। मन एकाग्र हो जाता है, वह स्वधीनता का अनुभव करता है और इन्द्रियों पर भौतिक वस्तुओं से उपराम होकर नियन्त्रण आने लगता है। अन्य वस्तुएं उसकी समता में तुच्छ सी लगने लगती है। एक कुएं को जितना गहरा खोदा जाये उतना ही अधिक जल उससे प्राप्त होता है।
मनुष्य जीवन के प्रश्नों के उत्तर, कि मानव क्या है? उसकी उत्पत्ति कैसे हुई?, उसके जीवन के क्या लक्ष्य होने चाहिए?, उच्च कोटि का जीवन वह कैसे व्यतीत करें?, गणित, विज्ञान इन सब प्रश्नों के उत्तर पुस्तकों के अध्ययन से हम प्राप्त कर सकते हैं।
इन पुस्तकों के अध्ययन से अपने भीतर की गुप्त शक्तियों का विकास कर सकते हैं, यह हमारी कल्पनाओं और विचारों को विकसित कर नयी दिशायें देती हैं इसलिये अच्छी पुस्तकों का पढ़ना सुनना और सुनाना हमारे दैनिक जीवन का अंग होना चाहिए।
सर्वस्व लोचनम् शास्त्रम् ।
वास्तव में हमारी आंखें हमारे शास्त्र ही हैं। विद्या अर्जन ही वास्तविक धन है। अन्त में इतना ही कहूंगा कि
यदि जीवन में उलझी गुत्थियों को सुलझाना है।
अपन जीवन के तम को दूर हटाना है।
गुरु ग्रन्थ का मन्थन करके जीवन का उद्धार करो।
वरदान है यह वरदान को पाकर जीवन को साकार करो।।
व्यवहार में राग और द्वेष
अच्छी किताबों का स्वाध्याय करने वाला जीवन में हमेशा आत्मविश्वास के साथ सही और गलत को परिभाषित कर सकता है, सही और गलत का निर्णय कर सकता है क्योंकि कहा भी जाता है की विद्या ददाति विनयम अर्थात विद्या हमें विनम्रता सिखाती है और विद्या स्वाध्याय के बल पर ही आती है अतः हम सभी के मुख मंडल पर बस यही वेदमन्त्र होना चाहिए
स्वाध्यायान मा प्रमदः
अर्थात स्वाध्याय करते समय आलस्य और प्रमाद कभी मत करो
हमारा जीवन सत्य पर ही आधारित हो
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