दान की महिमा – THE GLORY OF DONATION

आज हम जानने वाले हैं :-

“दान की महिमा – THE GLORY OF DONATION” की –

कहा जाता है – देने के लिए दान, लेने के लिए ज्ञान, और त्यागने के लिए अभिमान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस दुनिया में जितने भी धर्म हैं चाहे वह हिन्दु धर्म हो, मुस्लिम हो, सिख हो, ईसाई हो, बौद्ध हो, जैन हो|  जितने भी ग्रंथ हैं-

  • वेद
  • उपनिषद
  • पुराण
  • गीता
  • गुरुग्रंथ साहिब
  • कुरान
  • बाइबिल

न जाने कितने ही ग्रंथ हैं जिनमें दान देने की महिमा भरी हुई है। दान का मतलब सिर्फ धन का दान करना ही नहीं होता दान फा मतलब होता है जो आपके पास अधिक है, जरूरत से जादा है उसे आप दूसरों को देते हैं जिन्हें इसकी जरूरत हो, चाहे वह धन हो, विद्या हो, अन्न हो, गाय हो , एक पिता के लिए अपनी बेटी का दान, (जिसे हम कन्यादान भी कहते हैं), जरूरतमंदों के लिए जरूरत की चीजों का दान, भूमि का दान |

ऐसे बहुत तरह के दान होते हैं जो नि:स्वार्थ भाव से दूसरों को दिया जाता है। इसे ही दान कहा जाता है।

दान में सर्वश्रेष्ठ व सबसे उत्तम दान विद्या का दान है। जो इंसान दान नहीं करता वह पापी है। आप बिना पैसा खर्च किए भी बहुत कुछ दान कर सकते हैं यानी donate कर सकते हैं।

“दान दिए धन न घंटे कह गए दास कबीर”

पैसे के तीन ही प्रयोग होते हैं:-

  1. दान
  2. भोग
  3. नाश

ऋग्वेद में लिखा है :-

“शतहस्त समाहर सहस्रहस्त संकिर”

अर्थात् हमें सौ हाथों से कमाना चाहिए और हजारों हाथों से दान करना चाहिए।

राजा हरीशचन्द्र एक बहुत बड़े दानवीर थे, उनकी एक खास बात थी कि वो जब भी किसी को दान देते थे उस समय वो अपने हाथ आगे बढ़ाते तो नजरें नीचे झुका लेते थे। एक बार जब वो दान कर रहे थे तब एक आदमी दो तीन बार उनसे दान लेकर चला गया। इस दृश्य को देखकर राजा हरीशचन्द्र के मन्त्री ने राजा से पूछा कि –

“सीखे कहाँ नवाबजू देनी ऐसी देन ?

ज्यों ज्यों कर ऊँचे चढें त्यों-त्यों नीचे नैन”

                            दान की महिमा – THE GLORY OF DONATION
ईमानदार बनना क्यों जरूरी है ? – Why Honesty is to Important ?

हे राजन – आपने इस प्रकार का दान देना कहाँ से सीखा है? जैसे-जैसे आपका हाँथ दान देने के लिए ऊपर उठता जाता है वैसे-वैसे आपकी नजरें नीचे झुकती चली जाती हैं। तब राजा हरीशचन्द्र ने अपने मंत्री से बड़े ही विनम्रता से कहा-

“देने हारा और है जो देता दिन रैन – लोग भरम हम पै करें या विधि नीचे नैन”

राजा हरीशचन्द्र ने कहा – देने वाला तो वह भगवान है जो हमें दिन रात देता ही रहता है। लोग मुझपर गर्व करते हैं कि मैं उन्हें दे रहा हूँ जबकि देनेवाला तो वह ईश्वर है यह सोचकर मुझे शर्म आ जाती है, लज्जा आ जाती है, इसीलिए दान करते समय मैं अपनी नजरों को शर्म से नीचे झुका लेता हूँ।

गीता में दान की महिमा को बताते हुए श्रीकृष्ण जी कहते हैं:-

अश्रद्धया हुतं दत्तं तपस्तप्तं कृतं च यत्। असदित्युच्यते पार्थ न च तत्प्रेत्य नो इह ।

अश्रद्धा से, बिना मन के, छल-कपट करके, किसी को तकलीफ पहुँचाकर, किसी से जलकर (jelush feel) करके, दूसरों से छीनकर किया हुआ यज्ञ, तप, और जो भी कार्य किया जाता है वह सब व्यर्थ है यानी waste है। उसका फल हमें कभी मिलता ही नहीं|

Give with Faith, If you lack, Faith give nothing

                               दान की महिमा

याने कि दान हमें श्रद्धापूर्वक और खुश होकर ही देना चाहिए। यदि दान देते वक्त मन में श्रद्धाभाव न हो तो जबरजस्ती दान देना भी पाप है । दान हमेशा सच्चे मन से ही देना चाहिए।

महाभारत के सबसे चतुर एवं नीतिज्ञ महात्मा विदूर जी ने विदुरनीति में लिखा है।

द्वावम्भसि निवेष्टव्यौ गले बहवां दृढां शिलाम् ।धनवन्तमदातारं दरिद्रं चातपस्विनम् ।

अर्थात् इन दोनों व्यक्तियों के गले में दृढ़ पत्थर यानी बड़ा और मजबूत पत्थर बाँधकर इन्हें जल में डुबो देना चाहिए,

  • जिस व्यक्ति के पास जरूरत से जादा धन हो और दान नहीं करता
  • दूसरा उस व्यक्ति को जो आलसी हो, जो परिश्रम यानी मेहनत करने से भागता हो, उससे बचना चाहता हो

यह धन किसी के पास हमेशा के लिए नहीं रहता। भर्तृहरि जी कहते हैं :-

दानं भोगो नाशस्तिस्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य । यो न ददाति न भुंक्ते तस्य तृतीया गतिर्भवति।

सुख और आनन्द में अंतर - सुख और आनन्द क्या है ? 

धन की तीन ही गतियां होती हैं :-

  • दान
  • भोग
  • नाश

जो इंसान न तो धन का दान करता है और न ही उसे अपने उपभोग यानी use में लगाता है, उसके धन की तीसरी गति होती है अर्थात् वह नष्ट हो जाता है, खत्म हो जाता है।

       दोस्तो :-

  • आपमें से बहुत से लोग ऐसे होंगे जो बोलेंगे, कि हम तो बच्चे हैं दान कैसे दें?
  • कुछ ऐसे लोग भी हैं जो बोलेंगे कि हम गरीब हैं,
  • हमारे पास पैसे नहीं है,
  • हम कमाते भी नहीं,

ऐसी बहुत सी बातें हैं जो आपको परेशान कर सकती हैं। इसके लिए आपको दुखी होने की जरूरत नहीं है।

अब बात करते हैं कि हर इंसान दान कैसे कर सकता है?

और क्या-क्या दान कर सकता है?

                                                      दान की महिमा

आपमें से बहुत से लोग होंगे जो अपनी जेब खर्च यानी अपनी pocket money में से थोड़ा सा पैसा निकालकर हफ्ते में, या फिर किसी भी त्योहार के दिन, नहीं तो जन्मदिन के दिन भी कम से कम गरीबों को नहीं तो उन लोगों को दान करो जिनको आपके पैसों की जरूरत हो, जो जरूरतमन्द हो या फिर उन बच्चों को जो पढ़ना चाहते हैं और किसी कारणवश पढ़ नहीं पा रहे हो |

जरूरी नहीं की आप उन्हें पैसों का ही दान करें| आप उनकी जरूरत की चीजें भी दान कर सकते हैं| आप ऐसी संस्थाओं में, ऐसे trust में भी दान कर सकते हैं- जहाँ गरीब बच्चे रहते हों और पढ़ना चाहते हों जैसे:-

  • गुरुकुल हो गए, बड़ी-बड़ी संस्थाऐं हो गई जहाँ बच्चों को शिक्षा यानी Education दिया जाता है

जिससे आपके दान से वो बच्चा औरो की तरह पढ़-लिखकर अपने सपनों को पूरा कर सके। आप चाहो तो

  • अनाथालय
  • वृद्धाश्रम

जैसी बहुत सी संस्थाओं में भी दान कर सकते हैं| आप अपने body के parts भी donate कर सकते हैं hospitals में, जब भी आपकी मृत्यु होगी। doctors की टीम आपके b0dy के parts निकालकर उस इंसान को लगाएगी जिसे उसकी जरूरत होगी

दान देने के फायदे - दान देने की महिमा in video format

 बहुत से लोग ऐसे हैं जिनकी आँखें ही नहीं होती, जिन्होंने अपनी जिन्दगी ही नहीं देखी होती, आपके donation की वजह से ही वो इस दुनिया को देख सकस सकते हैं।

  • जो लोग कहते हैं कि मैं दान नहीं दे सकता उनके लिए सबसे बड़ा दान ये है :-

प्रेम पड़ोसी को दो, मित्र को सत्य हृदय दो

मानहीन को मान, भीत को सदा अभय दो

भक्तिपूर्ण मन से दो, पिता को आदर

भाई-बहनों को दो, जादा सम्पत्ति सादर

शुभ-आचरण स्वयं को दो, बच्चों को शिक्षा

दीन जनों को दो उनका हक – समझ सुभिक्षा

अपने को इज्जत दो, सेवा दो जन-जन को

प्रभु के पावन चरणों में, दो निज मन को

 

एक बहुत ही बड़े Scholar हुए हैं  George orwell  जिन्होंने कहा था :-

“You have two hands, One to help yourself, and the second to help others”

“तन से सेवा कीजिए, मन से भले विचार धन से इस संसार में करिए पर उपकार”

ईमानदार बनना क्यों जरूरी है ? – Why Honesty is to Important ?

दान सही जगह न देना भी पाप है और दान गलत जगह देना भी पाप है लेकिन दान बिल्कुल भी न देना यह सबसे बड़ा पाप है| कुछ लोग आपके दान का सही उपयोग करते हैं जिससे समाज का यानी Society का विकास होता है और कुछ लोग आपके दान का गलत उपयोग करते हैं उसे गलत चीजों में, दारू, शराब, मांस-मछली, गांजा, अफीम जैसे बुरी चीजों में लगा देते हैं।”

अब आपको decide करना है, कि दान किसे, क्यूँ, कब और कैसे देना है? जिससे आपके दान का सही उपयोग हो सके।

satyagyan:

View Comments (0)

Related Post